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संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council)

संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council)


संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंगों में से एक सुरक्षा परिषद सिक्योरिटी काउंसिल विश्व संस्था की संपूर्ण शक्ति को समेटे हुए है। यह अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की पहरेदार मानी जाती है।  संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा  की अपेक्षा सुरक्षा परिषद बहुत ही छोटा सदन है परंतु उसकी शक्ति महासभा की अपेक्षा बहुत अधिक है। अगर महासभा मानवता की सर्वोच्च राजनीतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। तो सुरक्षा परिषद विश्व की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
Sanyukt rashtra suraksha Parishad kya hai ?
 राजनीतिक विषयों में सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का कार्यपालकीय अंग है कुछ विद्वानों ने सुरक्षा परिषद की निम्न परिभाषाएं बताई हैं।

  • पामर एंड पार्किनस ने इसे संयुक्त राष्ट्र की कुंजी कहा है।
  • ए एच डॉक्टर ने इसे संघ की प्रवर्तन भुजा कहा है।
  • कुशमैन ने इसे दुनिया का पुलिसमैन कहा है सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का ह्रदय है।
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United Nations Security Council

संगठन

प्रश्न :-   संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल कितने सदस्य हैं ?


उत्तर :- संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के पांचवें अध्याय के according  परिषद में मुख्यतः पांच स्थाई और अस्थाई टोटल 11 सदस्य होते हैं परंतु सितंबर 1965 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के संशोधन द्वारा अस्थाई सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 10 कर दिया गया ।

 ऐसा इसलिए किया गया कि सन 1945 के पश्चात संघ के सदस्यों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई और छोटे-छोटे सदस्य राज्य सुरक्षा परिषद में अधिक स्थान की मांग करने लगे। ऐसी स्थिति में महासभा ने निर्णय लिया कि 10 अस्थाई सदस्यों में से पांच एशियाई अफ्रीकी राज्यों में से एक पूर्वी यूरोप में से दो दक्षिणी अमेरिका व शेष दो पश्चिमी यूरोप व अन्य राज्यों में से होने चाहिए। इस प्रकार सुरक्षा परिषद की कुल सदस्य संख्या 15 हो गई ।

Sanyukt Rashtra Suraksha Parishad ke Sthai Sadasya  

प्रश्न :- सुरक्षा परिषद में कुल कितने स्थाई सदस्य हैं?
या

सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य देशों के नाम लिखिए

उत्तर :- चीन, फ्रांस ,सोवियत संघ ,ग्रेट ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता है। सोवियत संघ के विघटन के बाद सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य का उसका स्थान  रूस को प्रदान कर दिया गया है। जब तक सुरक्षा परिषद का अस्तित्व रहेगा इनकी membership भी बनी रहेगी । 
विभिन्न एग्जाम्स में इस प्रकार का प्रश्न भी पूछा गया है कि कौन सा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य नहीं है ?
स्पष्ट है कि इन 5 सदस्य देशों के अतिरिक्त अन्य कोई भी देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य नहीं है।


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य : -

अस्थाई सदस्यों का election महासभा अपने दो तिहाई बहुमत से 2 वर्ष के लिए करती है। सदस्यों का निर्वाचन करते समय महासभा संगठन के उद्देश्यों अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के योगदान तथा भौगोलिक क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता का ध्यान रखती है।
10 अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से 2 वर्ष के लिए किया जाता है कोई भी अस्थाई सदस्य तत्काल पुनः निर्वाचित किया जा सकता है।
वर्तमान समय में 10 अस्थाई सदस्यों का भौगोलिक वितरण इस प्रकार है अफ्रीका एवं एशिया से पांच सदस्य पूर्वी यूरोप का एक सदस्य लेटिन अमेरिका के 2 सदस्य और पश्चिमी यूरोप तथा अन्य देशों के 2 सदस्य।

सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली- 
  • सुरक्षा परिषद स्थाई रूप से सत्र में रहती हैं। इसकी बैठक 14 दिन में एक बार होती है तथा आवश्यकता पड़ने पर 24 घंटे के नोटिस पर बुलाई जा सकती है परिषद की बैठक में कहीं भी बुलाई जा सकती है। इसकी कार्यप्रणाली निम्न प्रकार से विवेचित की जा सकती है।
  • प्रक्रिया संबंधी मामलों में निर्णय के लिए 9 मतों की जरूरत होती है प्रक्रिया संबंधी विषयों का अर्थ ऐसे मामले जिनमें सुरक्षा परिषद की बैठक के समय या स्थान का निर्णय करना इसके सहायक अंगों की स्थापना करना कार्यवाही चलाने के नियम और सदस्यों को बैठक में सम्मिलित होने के लिए निमंत्रित करना आदि।
  • मामलों में निर्णय के लिए 9 स्वीकारात्मक मतों के साथ यह भी आवश्यक है कि पांचों स्थाई सदस्य भी उस निर्णय से सहमत हों । इस प्रकार प्रत्येक स्थाई सदस्य को महत्वपूर्ण विषयों में निषेध अधिकार प्राप्त है। यदि कोई स्थाई सदस्य किसी महत्वपूर्ण विषय पर असहमति प्रकट करता है तो उसे अस्वीकृत किया जाता है।
  • परिषद की बैठक में किसी सदस्य की अनुपस्थिति को वीटो का प्रयोग नहीं माना जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर में प्रक्रिया संबंधी तथा महत्वपूर्ण विषय की कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं की गई है। अतः इस पर जब विवाद उत्पन्न हो जाए कि विषय प्रक्रिया संबंधी है या महत्वपूर्ण,  इसका निर्धारण भी सुरक्षा परिषद 9 सदस्यों के बहुमत से करती है लेकिन पांचों स्थाई सदस्यों को इस पर भी वीटो का अधिकार प्राप्त है। इसी को दोहरे वीटो की व्यवस्था कहा गया है।

 सुरक्षा परिषद की प्रमुख समितियां -
 
अपने कार्यों को सुचारू रूप से संपन्न करने के लिए परिषद ने कुछ समितियों की भी स्थापना की है ।

  1.  विशेषज्ञ समिति 
  2.  सैनिक स्टाफ कमेटी और 
  3.  नियंत्रण आयोग   

सुरक्षा परिषद के कार्य 

संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र की धारा 24,25 तथा 26 में सुरक्षा परिषद के कार्य और अधिकारों का उल्लेख किया गया है। सुरक्षा परिषद के कार्य क्षेत्र अधिकार एवं उसकी भूमिका को इन बिंदुओं के अंतर्गत स्पष्ट किया गया हैै। 

  1. शांति एवं सुरक्षा संबंधी कार्य -जब कभी और जहां कहीं विश्व शांति एवं सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होता है यह शांति भंग होती है या आक्रमण होता है वहां शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सुरक्षा परिषद विभिन्न साधनों का प्रयोग कर सकती है शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करने या शांति भंग करने आक्रमणकारी राज्य के विरुद्ध पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध तथा कूटनीतिक संबंधों के विच्छेद के प्रयोग के लिए किया जा सकता है।
  2. विविध कार्य-
  • निर्वाचन तथा आरंभन संबंधी कार्य - महासचिव के election और संयुक्त राष्ट्र संघ में नवीन members के प्रवेश के संबंध में सुरक्षा परिषद की आरंभन तथा सहमति दोनों की जरूरत होती है। सदस्यता प्राप्त करने के लिए किसी भी देश को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पास आवेदन प्रस्तुत करना पड़ता है जिसे वह सुरक्षा परिषद के पास विचार हेतु भेज देता है। सुरक्षा परिषद सदस्यता प्रदान करने से संबंधित अपनी समिति की राय पर उक्त देश की सदस्यता की पात्रता पर विचार करती है जिसमें वह बहुत ही विशिष्ट परिस्थितियों में संतुष्ट होकर महासभा के पास अपनी सिफारिशें भेज देती है परंतु इसके लिए यह अनिवार्य है कि पांचों स्थाई सदस्यों की सहमति मत प्रवेश संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में हो।संयुक्त राष्ट्र का महासचिव भी सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा नियुक्त किया जाता है। महासचिव की नियुक्ति के संबंध में भी पांचों स्थाई सदस्यों की सहमति जरूरी है। महासभा के साथ मिलकर सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करती है। जो सदस्य राज्य चार्टर के सिद्धांतों के निरंतर उपेक्षा करता है उसे निकालने की सिफारिश सुरक्षा परिषद कर सकती है पूर्व सदस्य राज्य के अधिकारों तथा विशेष अधिकारों की सुरक्षा परिषद बिना महासभा की सहमति के ही स्थापना कर सकती है।
  •  निरीक्षण संबंधी कार्य -सुरक्षा परिषद न्यास व्यवस्था के अंतर्गत सामरिक महत्व के न्यास क्षेत्रों का निरीक्षण कर सकती है। परिषद का यह कार्य उसकी सुरक्षात्मक भूमिका से संबंधित है।

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