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महाजनपद काल | Indian History

आज से लगभग दो -तीन हजार वर्ष पूर्व भारत में विभिन्न जनपदों और महाजनपदों का उदय हुआ। इससे संबंधित महाजनपद प्रश्न उत्तर विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं । जैसे -    महाजनपदों के उदय के कारण   बताइए । या जनपद और महाजनपद में अंतर   बताइए । उत्तर - आज से लगभग 2500 वर्ष पहले कुछ जनपद महत्वपूर्ण हो गए। इन महत्वपूर्ण एवं बड़े जनपदों ने छोटे जनपदों को अपने राज्य में मिला लिया। इस प्रकार यह महाजनपद बन गए।   महाजनपद किसे कहते हैं ? या महाजनपद क्या है ?  उत्तर - प्रत्येक महाजनपद की अपनी अपनी राजधानी होती थी। अनेक राजधानियों में किलाबंदी भी की गई थी। महाजनपद के शासक नियमित सेना रखने लगे थे। सैनिकों को वेतन देकर पूरे वर्ष रखा जाता था। कुछ भुगतान संभव है आहत सिक्कों के रूप में होता था। इन महाजनपदों की संख्या सोलह थी। सोलह महाजनपदों की सर्वप्रथम जानकारी बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में मिलती है। आप इस लेख से अच्छे महाजनपद काल नोट्स   बना सकते हैं जिनमें महाजनपदों के उदय के कारण -आदि बिंदुओं का उल्लेख हो । प्रमुख महाजनपद महाजनपद काल मैप  प्रमुख महाजनपद मत्...
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Rajasthan Ki Mitiya - GK Trick | राजस्थान की मिट्टियाँ

 RAJASTHAN KI MITTI KA  VARGIKARAN - Short trick राजस्थान की मिट्टी का वैज्ञानिक वर्गीकरण  के संबंध में विभिन्न एग्जाम्स में अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं। इन राजस्थान की मिट्टियों से संबंधित प्रश्न को आज हम राजस्थान की मिट्टियाँ ट्रिक की सहायता से समझेंगे। मिट्टी या मृदा हमारे जीवन को आधार प्रदान करती है। प्रारंभ में मनुष्य बस्तियां उन्हीं क्षेत्रों में ज्यादा बसें जहां पर अच्छी उपजाऊ मृदा या मिट्टी उपलब्ध थी। हम अपना भोजन मुख्यत: पौधों से प्राप्त करते हैं । पौधे अपना भोजन के ज्यादातर तत्व मिट्टी से ही लेते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की मृदा पाई जाती है अगर हम राजस्थान की   जलवायु और राजस्थान की मिट्टी की बात करें तो पूरे राजस्थान में विभिन्न प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं । राजस्थान में मृदा की इन विभिन्नताओं के कारण ही हमें विभिन्न प्रकार के घास पेड़ पौधे फसलें आदि मिलते हैं। मिट्टी के प्रकार का वहां होने वाले कृषिगत उत्पादन से सीधा संबंध पाया जाता है । मोटे तौर पर मिट्टी या मृदा दो प्रकार की होती है - उर्वर मृदा ( जिस मिट्टी में आसानी से फसल...

राजस्थान के खनिज | Rajasthan ke Khanij - GK Trick

राजस्थान का खनिजों की उपलब्धता की दृष्टि से भारत में एक विशेष स्थान है। Rajasthan ke khanij sansadhan इसे एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाते हैं।  खनिज भंडारों की दृष्टि से राजस्थान झारखंड के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। अलौह धातु और अप्रधान खनिजों के उत्पादन में राजस्थान भारत में प्रथम स्थान रखता है। इसी कारण राजस्थान को प्राय खनिजों का अजायबघर की उपाधि से भी अलंकृत किया जाता है। Question :- राजस्थान के कितने प्रकार के खनिज पाए जाते हैं?   Answer :- राजस्थान में लगभग 79 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। जिनमें से 58 प्रकार के खनिजों का दोहन किया जाता है। आज हम Rajasthan ke khanij trick के माध्यम से याद करेंगे । आप इस Rajasthan GK Trick के माध्यम से Rajasthan ke khanij notes भी तैयार कर सकते हैं। Rajasthan ke khanij questions अनेक बार विभिन्न एग्जाम्स में पूछे जाते हैं जैसे - Rajasthan ke khanij padarth , राजस्थान में खनिज आधारित उद्योग कहां कहां है? , राजस्थान के खनिज नीतियां , राजस्थान की प्रथम खनिज नीति , राजस्थान की दूसरी खनिज नीति , राजस्थान में कोयला उत्पादन आदि से संबंधित ...

Rajasthan Ki Nadiya | राजस्थान की नदियां - GK Trick

Rajasthan ki Nadiya - Rajasthan GK Trick दोस्तो Rajasthan GK Tricks को आगे बढ़ाते हुए आज हम राजस्थान का अपवाह तंत्र नदियां व झीलें rajasthan ki nadiya or jhile से संबन्धित  Rajasthan GK Trick लेकर आए हैं। Rajasthan Ki Nadiya आज हम Arab sagar me girne wali rajasthan ki nadiya   की GK Trick  देखेंगे । इसके अलावा हम bangal ki khadi me girne wali rajasthan ki nadiya की Rajasthan GK Trick और Khambhat ki khadi me girne wali nadiya की GK Trick भी जानेंगे। Jump to Rajasthan ki Aantrik Pravah ki Nadiya  -GK Trick Arab sagar me girne wali rajasthan ki nadiya -GK Trick Bangal ki Khadi me Girne wali Rajasthan ki Nadiya -GK Trick Rajasthan Ki Sarvadhik Jilo me Bahne wali Nadiya -GK Trick इसी क्रम में हम सबसे पहले जो GK Trick पढ़ेंगे वह है :- Rajasthan ki Aantrik Pravah ki Nadiya rajasthan ki nadiya notes बनाने में GK Tricks का बहुत महत्व है। GK Trick देखने से पहले हम एक बार इन rajasthan ki aantrik pravah ki nadiya के नाम बिना ट्रिक के देखेंग...

Sikh dharm Ka itihas - सिख धर्म का इतिहास

Sikh dharma Ka sampooran itihas । सिख धर्म का संपूर्ण इतिहास Sikh Dharma Guru sikh dharam ki sthapna से पहले 13 वी सदी के प्रारंभ से ही पंजाब में मुस्लिम राज्य की स्थापना हो गई। मुस्लिम शासकों ने मजहबी राज्य की स्थापना के अंतर्गत मुस्लिमों को उचित स्थान एवं अन्य धर्मों के नागरिकों को दूसरे दर्जे का स्थान दिया। दिल्ली सल्तनत की मजहबी कट्टरता की नीति से संघर्ष प्रारंभ हुआ। देवालयों के स्थान पर मस्जिदों का निर्माण आम बात थी ।  असहिष्णुता एवं घृणा का वातावरण बनता जा रहा था । ऐसे वातावरण में गुरु guru nanak dev ji  का जन्म हुआ। गुरु नानक देव (1469-1539) गुरु नानक देव गुरु नानक देव ( Guru Nanak Dev ) का जन्म  15 अप्रैल 1469 ई  को हुआ। इनका विवाह सुलखनी के साथ हुआ। नानक की अध्यात्म के प्रति रुचि थी। नानक ने "मानुष की जात सबै एक" इसी तत्व का प्रचार करते हुए भारत भ्रमण किया। इनकी इसी तरह की यात्राओं को उदासियां कहा जाता है। गुरु नानक देव की शिक्षाएं एक ईश्वर में विश्वास ,नाम की महानता और उपासना, गुरु की महानता इत्यादि थी। मानव को शुभ कर्म करने पर बल दिया एवं जाति ...

Rajasthan ka ekikaran | राजस्थान का एकीकरण - GK Trick

राजस्थान का एकीकरण (Integration of Rajasthan) आज जिस प्रदेश को राजस्थान के नाम से जाना जाता है वह स्वतंत्रता से पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था। राजपूताना यानी राजपूतों की भूमि। राजपूताना में अनेक रियासतें थी । जिन पर यहां के शासक अंग्रेज सरकार की देखरेख में शासन चलाते थे। अजमेर मेरवाड़ा का इलाका सीधे अंग्रेजों के अधीन था । स्वतंत्रता के बाद इन सब इलाकों को इकट्ठा करके वर्तमान राजस्थान राज्य बना।  पर rajasthan ekikaran mein pramukh badhaye अनेक थीं ।     स्वतंत्रता से पहले राजस्थान विभिन्न छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था तथा इस राज्य का कोई संगठित स्वरूप नहीं था। यह 19 देशी रियासतों ,2 चीफशिप एवं एक ब्रिटिश शासित प्रदेश में विभक्त था। इसमें सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी तथा सबसे छोटी लावा चीफशिप थी । प्रत्येक रियासत एक राजप्रमुख अर्थात राजा,महाराजा अथवा महाराणा द्वारा शासित थी तथा प्रत्येक की अपनी राजव्यवस्था थी। अधिकांश रियासतों में आपसी समन्वय एवं सामंजस्य का अभाव था। स्वतंत्रता के पश्चात यह आवश्यक था कि समस्त देशी riyasato ka ekikaran किया जाए। राजस्थान ...

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की रचना, क्षेत्राधिकार तथा भूमिका अंतरराष्ट्रीय न्यायालय - संयुक्त राष्ट्र संघ के अंगों में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय भी एक महत्वपूर्ण अंग है। इसने 1946 में काम करना शुरु कर दिया ।अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय राष्ट्र संघ की प्रमुख कानूनी संस्था है। कानून से संबंध रखने वाले प्रश्नों पर ही है विचार करता है। राजनीतिक झगड़ों का इससे कोई संबंध नहीं है। ऐसे देश जो इस न्यायालय के सदस्य हैं यदि किसी मामले में न्यायालय के समक्ष उपस्थित करना चाहे तो कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद कानूनी विवाद उपस्थित होने पर उसे न्यायालय के समक्ष पेश कर सकती है व्यक्तिगत झगड़े अदालत में पेश नहीं किए जा सकते। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर 92 से 96 तक के अनुच्छेदों में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का विधान है। अनुच्छेद 92 के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्रीय संघ का न्याय संबंधी प्रधान उपकरण होगा। उसका का सम विधान के अनुसार होगा जो परिशिष्ट में 4 के साथ संलग्न है। अनुच्छेद 93 के अनुसार प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है कि वह न्यायालय के निर्णयों का ...