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Rajasthan ka ekikaran | राजस्थान का एकीकरण - GK Trick

राजस्थान का एकीकरण (Integration of Rajasthan)

आज जिस प्रदेश को राजस्थान के नाम से जाना जाता है वह स्वतंत्रता से पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था। राजपूताना यानी राजपूतों की भूमि। राजपूताना में अनेक रियासतें थी । जिन पर यहां के शासक अंग्रेज सरकार की देखरेख में शासन चलाते थे। अजमेर मेरवाड़ा का इलाका सीधे अंग्रेजों के अधीन था । स्वतंत्रता के बाद इन सब इलाकों को इकट्ठा करके वर्तमान राजस्थान राज्य बना।  पर rajasthan ekikaran mein pramukh badhaye अनेक थीं ।
    स्वतंत्रता से पहले राजस्थान विभिन्न छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था तथा इस राज्य का कोई संगठित स्वरूप नहीं था। यह 19 देशी रियासतों ,2 चीफशिप एवं एक ब्रिटिश शासित प्रदेश में विभक्त था। इसमें सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी तथा सबसे छोटी लावा चीफशिप थी । प्रत्येक रियासत एक राजप्रमुख अर्थात राजा,महाराजा अथवा महाराणा द्वारा शासित थी तथा प्रत्येक की अपनी राजव्यवस्था थी। अधिकांश रियासतों में आपसी समन्वय एवं सामंजस्य का अभाव था। स्वतंत्रता के पश्चात यह आवश्यक था कि समस्त देशी riyasato ka ekikaran किया जाए। राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया समस्त bhartiya ekikaran की करण का हिस्सा थी। इस कार्य को संपन्न करने में सरदार वल्लभभाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई और राजस्थान का एकीकरण एक चरणबद्ध रूप से किया गया ।
  भारत में एकीकरण हेतु 27 जून 1947 को रियासती विभाग की स्थापना हुई थी। 5 जुलाई 1947 को रियासती सचिवालय की स्थापना हुई। इस रियासती सचिवालय का अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल को बनाया गया था और इसके सचिव वी पी मेनन को बनाया गया । Rajasthan ke ekikaran की प्रक्रिया 17 मार्च 1948 ईस्वी को प्रारंभ हुई और 1 नवंबर 1956 ईस्वी को पूर्ण हुई। Rajasthan ke ekikaran की संपूर्ण प्रक्रिया 7 चरणों में संपन्न हुई। हालांकि देशी रियासतों ने भारत में विलय पर सहमति दे दी परंतु उनमें कई रियासतें जनसंख्या व क्षेत्रफल की दृष्टि से इतनी छोटी थी कि उनका अलग राज्य के रूप में रहना प्रशासनिक दृष्टि से संभव नहीं था । इससे उनका विकास भी नहीं हो पाता । इसलिए रियासती विभाग ने तय किया कि जिन रियासतों की जनसंख्या 10 लाख से कम है या आय 10000000 रुपए से कम है उन्हें पास की बड़ी रियासतों में मिला दिया जाए इसलिए प्रारंभ में राजस्थान के राजाओं ने स्वयं प्रयास करके अपने संघ बनाने के प्रयास किए जैसे मेवाड़ महाराणा ने राजस्थान के राजाओं को एकत्रित कर Rajasthan Union बनाने का प्रस्ताव रखा। डूंगरपुर महारावल ने वागड़ के राज्यों को मिलाकर वागड़ संघ बनाने का प्रस्ताव दिया बनाने का प्रयास किया किंतु शासकों द्वारा किए गए प्रयास सफल नहीं हुए।

    Matsya Sangh -  मत्स्य संघ (पहला चरण)

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मत्स्य संघ

 सबसे पहले मेवात के इलाके से अलवर भरतपुर धौलपुर और करोली ने मार्च 1948 में इकट्ठा रहने का फैसला किया । इस संगठन को के.एम.मुंशी की सलाह पर इसके प्राचीन नाम के आधार पर matsya संघ का नाम दिया गया। मत्स्य संघ का राजप्रमुख धौलपुर के महाराजा को बनाया गया। मत्स्य संघ का उप राजप्रमुख राजा गणेश पाल वासुदेव (करौली राजप्रमुख) को बनाया गया। राज्य में एकीकरण की दिशा में यह पहला कदम था।अलवर को मत्स्य संघ की राजधानी बनाया गया। 

GK TRICK :- मत्सय संघ में शामिल रियासतें व ठिकाने

अभी ना धोक

  1. अ - अलवर
  2. भी - भरतपुर
  3. ना - नीमराणा (ठिकाना)
  4. धो - धौलपुर
  5. क - करौली

Purav Rajasthan Sangh /पूर्व राजस्थान संघ ( दूसरा चरण) 

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पूर्व राजस्थान संघ

 कुछ ही दिन बाद दक्षिण पूर्वी और दक्षिण की 9 रियासतों ने मिलकर संयुक्त राजस्थान नाम के संघ का गठन किया । इसमें बांसवाड़ा कोटा बूंदी टोंक झालावाड़ प्रतापगढ़ शाहपुरा(Rajasthan ki sabse chhoti riyasat) किशनगढ़ और डूंगरपुर नाम का रियासतें कुशलगढ़ व लावा शामिल थे । कोटा को संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाया गया। महाराव भीमसिंह( कोटा ) पूर्व राजस्थान संघ के राजप्रमुख बने तथा बूंदी के महाराजा बहादुर सिंह इसके उप राजप्रमुख बने बने। गोकुल लाल आसावा को पूर्व राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया।

 GK TRICK:-  राजस्थान में शामिल रियासतें व ठिकाने

शाह बाबू की झाडू को पटको

  1. शाह - शाहपुरा
  2. बा - बाँसवाड़ा
  3. बू - बून्दी
  4. की - किशनगढ
  5. झा - झालावाड़
  6. डू - डूँगरपुर
  7. को - कोटा
  8. प - प्रतापगढ
  9. टको - टोंक

Sanyukt Rajasthan - संयुक्त राजस्थान (तीसरा चरण)

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संयुक्त राजस्थान

  तीन हफ्ते बाद मेवाड़ यानी उदयपुर रियासत (Rajasthan ki sabse prachin riyasat) भी इस संघ में शामिल हो गया संयुक्त राजस्थान नाम के इस संघ की राजधानी उदयपुर को बनाया गया। राजप्रमुख मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह बने तथा माणिक्य लाल वर्मा को प्रधानमंत्री बनाया।

Vrihat rajasthan - वृहत्त राजस्थान (चौथा चरण)

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वृहत्त राजस्थान

अगले साल यानी 30 मार्च 1949 ईस्वी (rajasthan diwas 30 march ko manaya jata hai)में बची हुई चार रियासतें भी इस संघ में शामिल हो गई। अतः अब संयुक्त राजस्थान संघ में जयपुर(jansankhya ki drishti se rajasthan ki sabse badi riyasat), जोधपुर (rajasthan ki sabse badi riyasat) जैैैसलमेर बीकानेर भी शामिल हो चुके थे। संघ का नाम बदलकर वृहत्त राजस्थान रख दिया गया। वृहत राजस्थान की राजधानी बना जयपुर और इसके महाराज प्रमुख बने मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह व राज प्रमुख बने जयपुर के मानव सिंह तथा पंडित हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया पूरा नाम भारतीय संविधान के लागू होने के बाद सारे देश में राज्यों के प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री कहा जाने लगा।

Sanyukt Vrihattar Rajasthan संयुक्त वृहत्तर राजस्थान (पांचवा चरण)

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संयुक्त वृहत्तर राजस्थान

 15 मई 1949 ईस्वी को मत्स्य संघ भी वृहत्त राजस्थान में शामिल हो गया।इसे संयुक्त वृहत्तर राजस्थान कहा गया। मत्स्य संघ के विलय से पूर्व इस क्षेत्र की जनता का जनमत जानने के लिए शंकर देव समिति का गठन किया गया तथा इसकी सिफारिश पर ही विलय किया गया।

 Rajasthan Sangh - राजस्थान संघ (छठा चरण)

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राजस्थान संघ

अभी तक केवल सिरोही ही ऐसी रियासत थी जिसका राजस्थान में विलय नहीं हुआ था । 26 जनवरी 1950 ईस्वी को जब भारत का पहला गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था इस समय देलवाड़ा एवं आबू क्षेत्र के अलावा बाकी सिरोही रियासत अभी राजस्थान का हिस्सा बन गई। भारत सरकार द्वारा गठित bhartiya rajya punargathan aayog के कहने पर 1956 ईस्वी में अजमेर मेरवाड़ा के इलाके को भी राजस्थान में मिला दिया गया। साथ ही मध्यप्रदेश के सुनेल टप्पा और सिरोही की देलवाड़ा एवं आबू तहसील को भी राजस्थान का हिस्सा बना दिया गया तथा राजस्थान का सिरोंज मध्य प्रदेश में मिला दिया गया ।इसी समय भारत एक संप्रभुत्वसंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया और राज्य को राजस्थान के नाम से उल्लेखित किया गया।

 Adhunik Rajasthan -आधुनिक राजस्थान (सातवां चरण)

 इस तरह वर्तमान राजस्थान का 1 नवंबर 1956 ईस्वी को एकीकरण हुआ। इसी के साथ राजप्रमुख का पद समाप्त हुआ व राज्यपाल का पद सृजित हो गया। राज्य की राजधानी जयपुर बनाया गया और राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया बने वहीं गुरुमुख निहाल सिंह राजस्थान के प्रथम राज्यपाल बने। किंतु राजस्थान दिवस वृहत राजस्थान के आधार पर 30 मार्च को ही मनाया जाता है।राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह और 14 दिन लगे। वर्तमान राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है और इसकी आबादी 2011 की जनगणना के आधार पर 6 करोड़ से भी ज्यादा है। वर्तमान समय में राजस्थान में सात संभाग और 33 जिले हैं।

GK TRICK :- राजस्थान के एकीकरण में प्रथम चरण से सप्तम चरण तक के नाम

MP से VSR आया

  1. M - मत्सय संघ
  2. P - पूर्व राजस्थान संघ
  3. से - संयुक्त राजस्थान
  4. V - वृहत राजस्थान
  5. S - संयुक्त वृहत्तर राजस्थान
  6. R - राजस्थान संघ
  7. आ - आधुनिक राजस्थान

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